आधे अरब लोगों को गरीबी में धकेल सकता है कोरोना संक्रमण


नई दिल्ली,  कोरोना के कारण दुनिया के ज्यादातर उद्योग-धंधे ठप पड़े हैं। शेयर बाजारों में जबरदस्त गिरावट का दौर है और कई लोगों के सामने अभी से रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। यह स्थिति बद से बदतर हो सकती है। साथ ही आर्थिक विश्लेषकों ने आशंका जताई है कि दुनिया गंभीर आर्थिक मंदी का शिकार हो सकती है। ऐसे वक्त में ऑक्सफैम की चेतावनी ने और चिंता बढ़ा दी है। ऑक्सफैम के अनुसार कोविड-19 संकट से निपटने के लिए गंभीर कदम नहीं उठाए गए तो आने वाली मंदी दुनिया के करीब आधे अरब लोगों को गरीबी में धकेल देगी। यह दुनिया की 8 फीसद आबादी है।


कई देशों पर बहुत बुरा प्रभाव : किंग्स कॉलेज लंदन और ऑस्ट्रेलिया की नेशनल यूनिवर्सिटी ने एक शोध किया है, जिसमें उन्होंने विश्व बैंक की गरीबी रेखा पर 1.90 डॉलर, 3.20 डॉलर और 5.50 डॉलर प्रति दिन के आधार पर वैश्विक मौद्रिक गरीबी पर कोरोनो वायरस के अल्पकालिक प्रभाव का अनुमान लगाया है। वैश्विक स्तर पर प्रगति के एक दशक तक के विश्लेषण के अनुसार 1990 के बाद पहली बार सभी तीन परिदृश्यों के तहत वैश्विक गरीबी का स्तर बढ़ेगा। इसका असर दुनिया के कुछ हिस्सों जैसे कि उत्तरी अफ्रीका, सब-सहारा अफ्रीका और मध्य पूर्व में और भी बुरा होना तय है, जहां यह 30 साल तक की तरक्की को खत्म कर सकता है।