नई दिल्ली। कोरोना के कम्युनिटी ट्रांसमिशन के फेज में पहुंचने के शुरूआती संकेत मिलने लगे हैं। आइसीएमआर के ताजा अध्ययन में सामने आया है कि सांस से संबंधित बीमारी से गंभीर रूप से ग्रसित हर 100 मरीजों में लगभग दो कोरोना वायरस से ग्रसित है। दिल्ली में यह आंकड़ा और भी ज्यादा है, यहां हर 100 मरीज में पांच से अधिक कोरोना से ग्रसित मिले हैं, जबकि महाराष्ट्र में चार और उत्तरप्रदेश में डेढ़ प्रतिशत मरीज कोरोना से ग्रसित पाए गए हैं।
दरअसल कोरोना वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन में पहुंचने का पता लगाने के लिए आइसीएमआर ने सांस से संबंधित बीमारी से गंभीर से ग्रसित ऐसे मरीजों की कोरोना वायरस की जांच शुरू की, जो देश के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में आइसीयू में भर्ती हैं।
15 मार्च के बाद हुए टेस्ट में कोरोना के मरीज मिलने शुरू
15 फरवरी से शुरू किये गए इस अध्ययन में 14 मार्च तक 859 मरीजों का कोरोना टेस्ट किया गया, लेकिन इसमें कोई भी कोरोना पॉजिटिव नहीं निकला। लेकिन 15 मार्च के बाद हुए टेस्ट में कोरोना के मरीज मिलने शुरू हो गये। 15 से 21 मार्च के बीच कुल 109 मरीजों का कोरोना टेस्ट किया गया, जिनमें दो कोरोना पोजेटिव निकला। 22 से 28 मार्च के बीच 2877 मरीजों में 48 और 29 मार्च से दो अप्रैल के बीच 2069 मरीजों में क्रमश: 48 और 54 मरीज कोरोना पॉजिटिव निकले।
सबसे बड़ी बात यह है कि 29 मार्च से दो अप्रैल के बीच प्रति 100 मरीजों में कोरोना के 2.6 मरीज कोरोना पोजेटिव थे। इस तरह 15 फरवरी से दो अप्रैल तक कुल 5911 मरीजों में 104 मरीज कोरोना पॉजिटिव मिले। सांस की बीमारी से गंभीर रूप से ग्रसित बीमार हर 100 मरीज में लगभग दो मरीजों का कोरोना पॉजिटिव मिलना इसके कम्युनिटी ट्रांसमिशन के फेज में पहुंचने का पहला संकेत है। सबसे बड़ी बात यह है कि इनमें 40 फीसदी मरीजों का कोई ट्रेवल या कोरोना मरीज के संपर्क में आने का हिस्ट्री नहीं है।
दिल्ली में 277 मरीजों के टेस्ट में 14 कोरोना पॉजिटिव
आइसीएमआर के अध्ययन में दिल्ली में 277 मरीजों का टेस्ट किया गया, जिनमें 14 कोरोना पॉजिटिव मिले। उत्तरप्रदेश में 295 मरीजों में चार कोरोना पॉजिटिव पाए गए। आइसीएमआर ने सरकार को इस अध्ययन के आधार पर कोरोना के खिलाफ अपनी लड़ाई को केंद्रित करने को कहा है ताकि कम्युनिटी ट्रांसमिशन के फेज में पहुंच चुके स्थानों पर विशेष ध्यान दिया जा सके।कोरोना के आम लोगों के बीच फैलने का पता लगाने के लिए आइसीएमआर ने सांस की गंभीर बीमारी से ग्रसित सभी मरीजों का कोरोना टेस्ट करना अनिवार्य कर दिया है और इसके लिए सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को निर्देश जारी कर दिये गए हैं।